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कार्बोहाइड्रेट





कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates)

  1. यह कार्बन, हाइड्रोजन और आक्सीजन से मिलकर बना होता है.
  2. कार्बन, हाइड्रोजन और आक्सीजन का अनुपात 1:2:1 होता है.
  3. इसका सामान्य सूत्र [ Cn(H2O)n ] होता है.
  4. 1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट के आक्सीकरण से 4.1 kacl (किलोकैलोरी) उर्जा मिलती है.
  5. शरीर में सबसे पहले उर्जा कार्बोहाइड्रेट/शर्करा से मिलती है इसलिए इसे उर्जा का प्राथमिक स्रोत कहा जाता है.
  6. शरीर की कुल उर्जा का 70% भाग कार्बोहाइड्रेट से प्राप्त होता है.
  7. ये आक्सीकरण के पश्चात तुरंत उर्जा प्रदान करते है.

स्रोत :-  सर्वाधिक :– चुकंदर व गन्ना; मीठे फल, चावल, आलू, केला, इत्यादि.

सरल कार्बोहाइड्रेट :– सुक्रोस, ग्लूकोस, फ्रक्टोस.
जटिल कार्बोहाइड्रेट :– स्टार्च (मन्ड), सेलुलोस.

कार्बोहाइड्रेट 3 प्रकार के होते है –
  • मोनोसैकेराइड
  • डाईसैकेराइड
  • पालीसैकेराइड

मोनोसैकेराइड
  • इसे मीठी शर्करा भी कहते है. ये जल में घुलनशील होता है.
  • इसका सामान्य सूत्र (CH2O)n  होता है.

I. ग्लूकोज :-
  1. यह सबसे अधिक महत्वपूर्ण मोनोसैकेराइड है.
  2. यह मुख्य रूप से अंगूर, शहद में पाया जाता है.
  3. सामान्य सूत्र - C6H12O6
  4. इसे Blood Sugar/Grape Sugar भी कहा जाता है.
  5. इसमे एल्डिहाइड ग्रुप पाया जाता है.
  6. सामान्य व्यक्ति में भोजन से पूर्व रक्त में ग्लूकोज का स्तर 70-100 ml/dl होता है, जबकि
  7. भोजन के पश्चात यह स्तर 120-140 ml/dl हो जाता है.
  8. ग्लूकोज का स्तर रक्त में बढ़ जाने से मधुमेह (Diabetes) रोग हो जाता है.
  9. मधुमेह में इन्सुलिन की कमी के कारण कोशिकाएं ग्लूकोज का उपयोग नहीं कर पाती हैं क्योकि इन्सुलिन के अभाव में ग्लूकोज कोशिकाओं में प्रवेश ही नहीं कर पाता. इन्सुलिन एक रक्षक की तरह ग्लूकोज को कोशिकाओं में प्रवेश करवाता है.

II. फ्रक्टोज :-
  1. यह शरीर में पहुंचते ही तुरंत ग्लाइकोजन में परिवर्तित हो जाता है.
  2. इसे फलो की शर्करा या शहद की शर्करा भी कहते है.
  3. प्रकृति में फ्रक्टोज सबसे मीठी शर्करा होती है.
  4. * सबसे मीठा कृत्रिम रासायनिक पदार्थ सेकेरिन होता है, जो फ्रक्टोज से 500-600 गुना अधिक मीठा होता है.

डाईसैकेराइड
  •  यह मोनोसैकेराइड के दो अणुओं से मिलकर बना होता है.
  • यह भी जल में घुलनशील होता है.
  • इसका सामान्य सूत्र C12H22O11 होता है.

I. सुक्रोज :-
  1. इसे गन्ने की शर्करा या व्यापारिक शर्करा भी कहा जाता है.
  2. इसका सामान्य सूत्र C12H22O11 होता है.
  3. सुक्रोज -> ग्लूकोज + फ्रक्टोज.

II माल्टोस :-
  1. इसे माल्ट सुगर भी कहते है.
  2. यह अंकुरित बीजो में पाया जाता है.
  3. यह स्वतंत्र रूप में नहीं पाया जाता है.
  4. माल्टोस -> ग्लूकोज+ग्लूकोज.

III ट्रेहेलोज :-
  1. यह कीटो के रक्त में पाया जाता है.

IV लैक्टोस :-
  1. यह शुद्ध दूध में पाया जाता है.
  2. यह कम मीठी होती है.
  3. यह पौधों में भी पाया जाता है.
  4. लैक्टोस -> ग्लूकोज + गैलेक्टोज.

पालीसैकेराइड
  • यह अनेक मोनोसैकेराइड अणुओं के मिलने से बनता है.
  • यह जल में अघुलनशील होता है.
  • इसका सामान्य सूत्र (C6H11O5)n होता है.
  • ये मुख्य रूप से पौधों में पायें जाते हैं.
  • ये आवश्यकता पड़ने पर जल अपघटन द्वारा ग्लूकोज में विघटित हो जाते हैं.
  • ये उर्जा उत्पादन के लिए संग्रहित ईधन का कार्य करते है.

I. स्टार्च :-
  1. यह α-D ग्लूकोज इकाइयों का बहुलक हैं.
  2. पौधे अपना भोजन स्टार्च के रूप में संचित करते है इसलिए इसे पादपो का संचित ईधन कहा जाता है.
  3. यह आलू, शकरकंद आदि में मिलता है.

II सेलुलोस :-
  1. यह प्रकृति में सर्वाधिक मात्रा में पाया जाने वाला पदार्थ हैं.
  2. यह जल में अविलेय होता है.
  3. मनुष्य सेलुलोस का पाचन नहीं कर सकते हैं.
  4. *दीमक के आहारनाल में सेलुलोस का पाचन करने वाला जीव (ट्राईकोनिम्फा) पाया जाता है.

III ग्लाइकोजन :-
  1. मनुष्य तथा कवको में भोजन का संचय ग्लाइकोजन के रूप में होता है.
  2. भोजन में उपस्थित ग्लूकोज को यकृत (Liver) द्वारा ग्लाइकोजन में परिवर्तित कर दिया जाता है.

IV. काईटिन :-
  1. यह कुछ आर्थोपोडा संघ के जंतुओं के वाह्य कंकाल का निर्माण करता है.
  2. कवको की कोशिका भित्ति काईटिन की बनी होती है.
  3. यह जल में अघुलनशील होता है.

V. डेक्सट्रेन्स :-
  1. Yeast (खमीर) तथा Bacteria (जीवाणु) में संचित भोजन डेक्सट्रेन्स होता है.

VI. हेपेरिन :-
  1. यह रक्त में उपस्थित प्रतिस्कंदन पदार्थ है.
  2. मानव शरीर में रक्त हेपेरिन की उपस्थिति के कारण ही नहीं जमता है.

कार्बोहाइड्रेट के कार्य :-
  1. शरीर में भोजन संचय की तरह कार्य करना.
  2. न्यूक्लिक अम्लो का निर्माण करना.
  3. जंतुओं के वाह्य कंकाल का निर्माण करना.
  4. यह शरीर को उर्जा और ऊष्मा प्रदान करता है.
  5. आवश्यकता से अधिक मात्रा में होने पर यह शरीर में वसा के रूप में संचित हो जाता है.



          


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