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विशेषण

संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्दों को विशेषण कहते है.ये शब्द प्रायः संज्ञा के ठीक पहले आते है.




विशेषण

जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम शब्द की विशेषता बताते है उन्हें विशेषण कहते है। ये शब्द प्रायः संज्ञा के ठीक पहले आते है.

जैसे :-
  • यह सफेद गाय है.
  • मीठा आम.
उपयुक्त वाक्यों में 'सफेद' और 'मीठा' शब्द गाय और आम (संज्ञा) की विशेषता बता रहे है। इसलिए ये शब्द विशेषण है।

इसका अर्थ यह है कि विशेषण-रहित संज्ञा से जिस वस्तु का बोध होता है, विशेषण लगने पर उसका अर्थ सिमित हो जाता है। जैसे- 'पक्षी', संज्ञा से पक्षी-जाति के सभी प्राणियों का बोध होता है, पर 'लाल पक्षी' कहने से केवल लाल पक्षी का बोध होता है, सभी तरह के पक्षियों का नहीं।

विशेष्य :- विशेषण शब्द जिस संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं, वे विशेष्य कहलाते हैं।

जैसे- 'अच्छा विद्यार्थी पिता की आज्ञा का पालन करता है' में 'विद्यार्थी' विशेष्य है, क्योंकि 'अच्छा' विशेषण इसी की विशेषता बताता है।

प्रविशेषण :- जो शब्द विशेषण की विशेषता बताते है, वे प्रविशेषण कहलाते है।

जैसे :-
  • यह लड़की बहुत अच्छी है।
  • मै पूर्ण स्वस्थ हुँ।

उपर्युक्त वाक्य में 'बहुत' 'पूर्ण' शब्द 'अच्छी' तथा 'स्वस्थ' (विशेषण ) की विशेषता बता रहे है, इसलिए ये शब्द प्रविशेषण है।

विशेषण  पाँच प्रकार होते है -
  • 1. गुणवाचक विशेषण
  • 2. संख्यावाचक विशेषण
  • 3. परिमाणवाचक विशेषण
  • 4. संकेतवाचक या सार्वनामिक विशेषण
  • 5. व्यक्तिवाचक विशेषण
  • 6. संबंधवाचक विशेषण

1. गुणवाचक विशेषण :- वे विशेषण शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम शब्द के गुण-दोष, रूप-रंग, आकार,  दशा, अवस्था, स्थान आदि की विशेषता प्रकट करते हैं, गुणवाचक विशेषण कहलाते है।

जैसे :- अच्छा, सुन्दर, चालक, महान, छोटा आदि.

अन्य उदहारण :-
  • गुण- वह एक अच्छा आदमी है।
  • रंग- काला टोपी, लाल रुमाल।
  • आकार- उसका चेहरा गोल है।
  • अवस्था- भूखे पेट भजन नहीं होता।

गुणवाचक विशेषण में विशेष्य के साथ कैसा/कैसी लगाकर प्रश्न करने पर उत्तर प्राप्त किया जाता है, जो विशेषण होता है।

2. संख्यावाचक विशेषण :- वे विशेषण शब्द जो संज्ञा अथवा सर्वनाम की संख्या का बोध कराते हैं, संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं।

जैसे :- एक, दो, पहला, दूसरा, इकाई, दुगुना, दर्जन, सैकड़ा, कई, कुछ, सब, थोडा, सैकड़ों, बहुत आदि.

अन्य उदहारण :-
  • 'पाँच' घोड़े दौड़ते हैं।
  • सात विद्यार्थी पढ़ते हैं।
संख्यावाचक विशेषण के दो भेद होते है-
  • (i)  निश्चित संख्यावाचक विशेषण
  • (ii)  अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण
(i) निश्चित संख्यावाचक विशेषण :- वे विशेषण शब्द जो विशेष्य की निश्चित संख्या का बोध कराते हैं,
निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं।

जैसे :- एक, दो आठ, चौगुना, सातवाँ आदि।

अन्य उदाहरण-
  • मेरी कक्षा में चालीस छात्र हैं।
  • कमरे में एक पंखा घूम रहा है।

प्रयोग के अनुसार निश्चित संख्यावाचक विशेषण के निम्नलिखित प्रकार हैं-

(क) गणनावाचक विशेषण :- जो विशेषण गिनती या गणना का बोध कराएँ।

जैसे :- एक, दो, दस, बीस आदि।

(ख) क्रमवाचक विशेषण :- वे विशेषण जो वस्तुओं या व्यक्तियों के क्रम (order) का बोध कराएँ।

जैसे :- पहला, दूसरा, पाँचवाँ, बीसवाँ आदि।

(ii) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण :- जिस विशेषण से अनिश्चित संख्या का बोध होता है, वह अनिश्चित विशेषण है।

जैसे- कई, कुछ, सब, थोडा, सैकड़ों, बहुत आदि।

अन्य उदाहरण :-
  • भय से कुछ लोग भाग गए।
  • कक्षा में बहुत कम छात्र उपस्थित है।

3. परिमाणवाचक विशेषण :- जिन विशेषण शब्दों से किसी वस्तु के माप-तौल संबंधी विशेषता का बोध होता है, वे परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं। यह किसी वस्तु की  नाप या तौल का बोध कराता है।

जैसे-  थोड़ा, कुछ, सब, बहुत, पर्याप्त, आधा, ज्यादा, सभी, सभी, पूरा इत्यादि।

अन्य उदहारण :-
  • कुछ लोग आये थे.
  • हमारे पास पर्याप्त समय है.

4. संकेतवाचक या सार्वनामिक विशेषण :- जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की ओर संकेत करते है या जो शब्द सर्वनाम होते हुए भी किसी संज्ञा से पहले आकर उसकी विशेषता को प्रकट करें, उन्हें संकेतवाचक या सार्वनामिक विशेषण कहते है।

जैसे :- यह , वह, ये सब, वो सब आदि.

अन्य उदहारण :-
  • वह गाय दूध देती है।
  • यह पुस्तक मेरी है।
उक्त वाक्यों में 'वह' सर्वनाम 'गाय' संज्ञा से पहले आकर उसकी ओर संकेत कर रहा है। इसी प्रकार दूसरे वाक्य में 'यह' सर्वनाम 'पुस्तक' से पूर्व आकर उसकी ओर संकेत कर रहा है। ये दोनों सर्वनाम विशेषण की तरह प्रयुक्त हुए हैं, अतः इन्हें संकेतवाचक या सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
ये लड़के, कोई स्त्री, कौन-सा फूल, वे कुर्सियाँ आदि में ये, कोई, कौन-सा, वे- सार्वनामिक विशेषण हैं।

5. व्यक्तिवाचक विशेषण:- जिन विशेषण शब्दों की रचना व्यक्तिवाचक संज्ञा से होती है, उन्हें व्यक्तिवाचक विशेषण कहते है।

जैसे :-
  • भारत से भारतीय.
  • बनारस से बनारसी.
अन्य उदाहरण :-
  • मुझे भारतीय खाना बहुत पसंद है।
उपर्युक्त वाक्य में भारतीय शब्द व्यक्तिवाचक संज्ञा से बना भारत शब्द लेकिन अब भारतीय शब्द विशेषण की रचना कर रहा है। इस वाक्य में यह शब्द खाने की विशेषता बता रहा है। अतः यह उदाहरण व्यक्तिवाचक विशेषण के अंतर्गत आयेंगे।

6. संबंधवाचक विशेषण :- जो विशेषण किसी वस्तु की विशेषताएँ दूसरी वस्तु के संबंध में बताता है, उन्हें संबंधवाचक विशेषण कहते हैं।

जैसे :- हमारा, अपना, उसका, इसका, तुम्हारा आदि.

अन्य उदहारण :-
  • उसका बैग चोरी हो गया.
  • हमारा शहर बहुत अच्छा है.
  • इसका घर बहुत दूर है.

सर्वनाम तथा सार्वनामिक विशेषण में अंतर :-

सर्वनाम संज्ञा के स्थान पर आता है, अतः सर्वनाम के बाद संज्ञा का प्रयोग नहीं होता। संज्ञा से पूर्व आने वाला सर्वनाम विशेषण बन जाता है, तब उसे सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।

जैसे :-
  • 'वह कल आया है' में 'वह' किसी संज्ञा के स्थान पर आने के कारण सर्वनाम है। 
  • 'वह बालक कल आया है' में वह संकेतवाचक या सार्वनामिक विशेषण है क्योंकि 'वह' बालक की ओर संकेत कर रहा है।
विशेषण की अवस्थायें या तुलना

जिन विशेषणों के द्वारा दो या अधिक विशेष्यों के गुण-अवगुण की तुलना की जाती है, उन्हें 'तुलनाबोधक विशेषण' कहते हैं।

तुलना के विचार से विशेषणों की तीन अवस्थाएँ होती हैं-
  • (i)   मूलावस्था (Positive Degree)
  • (ii)  उत्तरावस्था (Comparative Degree)
  • (iii) उत्तमावस्था (Superlative Degree)

(i) मूलावस्था :- किसी व्यक्ति अथवा वस्तु के गुण-दोष बताने के लिए जब विशेषणों का प्रयोग किया जाता है, तब वह विशेषण की मूलावस्था कहलाती है।

जैसे :-
  • कमल 'सुंदर' फूल होता है।
  • 'नीली' पतंग उड़ रही है।
इसमें कोई तुलना नहीं होती, बल्कि सामान्य विशेषता बताई जाती है।

(ii) उत्तरावस्था :- जब दो व्यक्तियों या वस्तुओं के बीच अधिकता या न्यूनता की तुलना होती है, तब उसे विशेषण की उत्तरावस्था कहते हैं।

इसमें दो व्यक्ति, वस्तु अथवा प्राणियों के गुण-दोष बताते हुए उनकी आपस में तुलना की जाती है।

जैसे :-
  • राम श्याम से बड़ा है.
  • यह घर उस घर से पुराना है.
उत्तरावस्था में केवल तत्सम शब्दों में 'तर' प्रत्यय लगाया जाता है।

जैसे:-
  • सुन्दर + तर > सुन्दरतर
  • महत् + तर > महत्तर
  • लघु + तर > लघुतर
  • अधिक + तर >अधिकतर
  • दीर्घ + तर > दीर्घतर

हिन्दी में उत्तरावस्था का बोध कराने के लिए 'से' और 'में' चिह्न का प्रयोग किया जाता है।

जैसे :-
  • आम सेब से ज्यादा मीठा है.
  • इन दोनों पक्षिओं में वह सुन्दर है.
विशेषण की उत्तरावस्था का बोध कराने के लिए 'के अलावा', की तुलना में', 'के मुकाबले' आदि पदों का प्रयोग भी किया जाता है।
जैसे :-
  • सीता के मुकाबले गीता अधिक सुन्दर है.
  • संस्कृत की तुलना में अंग्रेजी कठिन है.
  • इसके आलावा कोई और उपाय नही है.
(iii) उत्तमावस्था :- यह विशेषण की सर्वोत्तम अवस्था है। जब दो से अधिक व्यक्तियों या वस्तुओं के बीच तुलना की जाती है और उनमें से एक को श्रेष्ठता या निम्नता दी जाती है, तब विशेषण की उत्तमावस्था कहलाती है।
इसमें विशेषण द्वारा किसी वस्तु अथवा प्राणी को सबसे अधिक गुणशाली या दोषी बताया जाता है।

जैसे :-
  • गीता कक्षा में सबसे लम्बी लड़की है.
  • रीता अपनी बहनों में सबसे ज्यादा सुन्दर है.
  • रूस सबसे बड़ा देश है.
  • राम सबसे अच्छा लड़का है.
तत्सम शब्दों की उत्तमावस्था के लिए 'तम' प्रत्यय जोड़ा जाता है।

जैसे :-
  • सुन्दर + तम > सुन्दरतम
  • महत् + तम > महत्तम
  • लघु + तम > लघुतम
  • अधिक + तम > अधिकतम
  • श्रेष्ठ + तम > श्रेष्ठतम
'श्रेष्ठ', के पूर्व, 'सर्व' जोड़कर भी इसकी उत्तमावस्था दर्शायी जाती है।

जैसे :- नीरज सर्वश्रेष्ठ लड़का है।



          

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