विराम का अर्थ है – रुकना या ठहरना
भिन्न-भिन्न प्रकार के भावो और विचारो को स्पष्ट करने के लिए जिन चिन्हों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें विराम चिन्ह कहते है.
भिन्न-भिन्न प्रकार के भावो और विचारो को स्पष्ट करने के लिए जिन चिन्हों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें विराम चिन्ह कहते है.
विराम चिन्ह
वाक्य में विराम चिन्हों के प्रयोग से भाषा में स्पष्टता और सुन्दरता आती है तथा भावों को समझने में सुविधा होती है. जैसे :-
1. साधारण, मिश्र या संयुक्त वाक्य की समाप्ति पर -
2. अप्रत्यक्ष प्रश्नवाचक वाक्य के अन्त में पूर्ण विराम लगाया जाता है -
3. प्रायः शीर्षक के अन्त में भी पूर्ण विराम का प्रयोग होता है -
4. काव्य में दोहा, सोरठा, चौपाई के चरणो के अन्त में -
5. किसी वस्तु या व्यक्ति का सजीव वर्णन करते समय –
1. एक प्रधान पर आश्रित अनेक उपवाक्यो के बीच में-
2. जब अल्प विराम से अधिक तथा पूर्ण विराम से कम ठहरना पड़े तो अर्द्ध विराम का प्रयोग होता है-
3. जब संयुक्त वाक्यो के प्रधान वाक्यो मे परस्पर संबंध नही रहता-
4. विभिन्न उपवाक्यो पर अधिक जोर देने के लिए-
5. उपाधियों के अलगाव में–
6. मिश्र तथा संयुक्त वाक्यो में विपरीत अर्थ प्रकट करने या विरोधपूर्ण कथन प्रकट करने वाले उपवाक्यो के बीच में–
7. परिभाषा के बाद तथा उदहारण सूचक शब्द के पूर्व–
1. वाक्य में जब दो या दो से अधिक समान पदो पदांशो अथवा वाक्यों में संयोजक अव्यय ‘और’ की संभावना हो, वहाँ अल्प विराम का प्रयोग होता है-
2. जहाँ शब्दों की पुनरावृत्ति की जाए और भावातिरेक के कारण उन पर अधिक बल दिया जाए-
3. समानाधिकरण शब्दों के बीच में-
4. जब कई शब्द जोड़े से आते है, तब प्रत्येक जोड़े के बाद अल्प विराम लगता है-
5. ‘हाँ’, ‘अस्तु’ के बाद -
6. ‘कि’ के अभाव में -
7. उद्धरण चिन्हों के पहले-
8. तब, तो, यह, वह आदि के स्थान पर–
9. विस्मयादि बोधक वाक्यों में-
इसे अपूर्ण विराम भी कहा जाता है -
1. जहाँ वाक्य पूरा नहीं होता है, बल्कि किसी विषय के बारे में बताया जाता है–
2. किसी सम्बद्ध तथ्य के घटकों के मध्य–
1. जहाँ प्रश्न पूछे जाये–
2. जहाँ पर स्थिति निश्चित न हो–
3. व्यंगोक्ति के लिए–
4. समाचार पत्रों में संदेह व्यक्त करने के लिए–
नोट :-
1. जब वाक्य में कई प्रश्न हो और सभी एक ही प्रधान उपवाक्य पर आश्रित होते हो, तब उपवाक्य के अंत में अल्प विराम का प्रयोग होता है–
2. जब प्रश्न सीधे न पूछा जाये तो अंत में पूर्ण विराम लगेगा–
3. यदि प्रश्न आज्ञा के रूप में हो तो पूर्ण विराम लगेगा–
4. जब वाक्य में प्रश्न का कोई भाव न हो तो पूर्ण विराम लगेगा –
5. यदि प्रश्नवाचक वाक्य किसी क्रिया का कर्म हो तो प्रश्नसूचक चिन्ह प्रयोग नहीं होता है.
1. जब वाक्य में हर्ष, विषाद, विस्मय, घृणा, आश्चर्य, करुणा, भय आदि भाव हो–
2. संबोधन शब्द के बाद–
3. प्रसंशा व कृतघ्नता व्यक्त करने में–
4. आदेश सूचक भाव को व्यक्त करने में–
1. जब दोनों पद प्रधान हो ‘और’ का लोप हो–
2. जब दो शब्दों में एक सार्थक तथा दूसरा निरर्थक हो–
3. निश्चित संख्याओं के बीच–
4. शब्दों के द्वित्व रूप में–
5. जब दो शब्दों के बीच का, की, के लुप्त हो–
1. किसी के द्वारा कहे गए शब्दों को लिखने से पहले–
2. जहाँ विचारधारा मे व्यतिक्रम पैदा हो-
3. लेख के नीचे लेखक या पुस्तक के नाम के पहले-
इकहरा अवतरण [ ‘ ’ ] :-
1. पुस्तक, समाचार पत्र, लेखक का उपनाम, लेख का शीर्षक लिखते समय-
2. किसी कथन, शब्द, संधि को उद्धृत करने के लिए–
दुहरा अवतरण [ “ ” ] :-
1. जब किसी पुस्तक से कोई वाक्य या अवतरण ज्यों का त्यों लिखा जाय–
1. किसी विषय को समझाने के लिए–
1. वाक्य में व्याख्यात्मक शब्दों को कोष्ठक में रखा जाता है–
1. जब लिखते समय कोई शब्द छूट जाता है–
बहुत
● सुरेश ^ मेहनत से कार्य करता है ।
1. शब्दों को संक्षिप्त करने में लाघव चिन्ह का प्रयोग होता है लाघव चिन्ह का प्रयोग सदैव सर्वमान्य शब्दों में होता है–
1. जब ऊपर लिखी गई बात को ज्यों का त्यों लिखा जाता है–
1. जब दो या दो से अधिक तथ्यों में समानता व्यक्त की जाती है–
1. जहाँ पर किसी वाक्य, कथन का कुछ अंश छोड़ दिया जाता है–
1. किसी अध्याय या ग्रन्थ की समाप्ति पर इनका प्रयोग किया जाता है-
- रोको, मत जाने दो
- रोको मत, जाने दो
हिंदी के प्रमुख विराम चिन्ह
- पूर्ण विराम (Full Stop) [ । ]
- अर्द्ध विराम (Semi Colon) [ ; ]
- अल्प विराम (Comma) [ , ]
- उप विराम (Colon) [ : ]
- प्रश्नवाचक चिन्ह (Question Mark) [ ? ]
- विस्मयादि बोधक चिन्ह (Exclamation Mark) [ ! ]
- योजक / विभाजक चिन्ह (Hyphen) [ - ]
- निर्देशक चिन्ह (Dash) [ — ]
- अवतरण / उद्धरण चिन्ह (Inverted Commas) [ “ ” ] [ ‘ ’ ]
- विवरण चिन्ह (Colon Dash) [ :- ]
- कोष्ठक (Brackets) ( ) { } [ ]
- हंसपद / त्रुटिपूरक [^] [λ]
- लाघव / संक्षेप चिन्ह (Abbreviation mark) [o]
- पुनरुक्ति सूचक [ ‘’ ]
- तुल्यतासूचक चिन्ह [ = ]
- वर्जन / लोप चिन्ह [ ..... ]
- तारक / समाप्ति चिन्ह [ -o- ] [ *** ] [ --- ]
- संकेत चिन्ह [ * ]
- विकल्प चिन्ह [ / ]
पूर्ण विराम [ । ]
1. साधारण, मिश्र या संयुक्त वाक्य की समाप्ति पर -
- उसने कहा था।
- राम स्कूल जाता है।
2. अप्रत्यक्ष प्रश्नवाचक वाक्य के अन्त में पूर्ण विराम लगाया जाता है -
- उसने बताया नहीं कि वह कहाँ जा रहा है।
3. प्रायः शीर्षक के अन्त में भी पूर्ण विराम का प्रयोग होता है -
- विज्ञान का महत्व।
- नारी और भारतीय समाज।
4. काव्य में दोहा, सोरठा, चौपाई के चरणो के अन्त में -
- रघुकुल रीति सदा चलि आई। प्राण जाय पर वचन न जाई।
5. किसी वस्तु या व्यक्ति का सजीव वर्णन करते समय –
- गोरा रंग। गालो पर तिल। बड़े बाल।
अर्द्ध विराम [ ; ]
1. एक प्रधान पर आश्रित अनेक उपवाक्यो के बीच में-
- जब तक हम गरीब हैं; बलहीन हैं; दूसरे पर आश्रित हैं; तब तक हमारा कल्याण नहीं हो सकता।
2. जब अल्प विराम से अधिक तथा पूर्ण विराम से कम ठहरना पड़े तो अर्द्ध विराम का प्रयोग होता है-
- अब खूब परिश्रम करो; परीक्षा सन्निकट है।
3. जब संयुक्त वाक्यो के प्रधान वाक्यो मे परस्पर संबंध नही रहता-
- सोना बहुमूल्य धातु है; पर लोहे का भी कम महत्त्व नहीं है।
4. विभिन्न उपवाक्यो पर अधिक जोर देने के लिए-
- मेहनत ही जीवन है; आलस्य ही मृत्यु है।
5. उपाधियों के अलगाव में–
- बीoएo; एमoएo; पीoएचoडीo
6. मिश्र तथा संयुक्त वाक्यो में विपरीत अर्थ प्रकट करने या विरोधपूर्ण कथन प्रकट करने वाले उपवाक्यो के बीच में–
- वह कष्ट सहता रहा; लोग आनंद लेते रहे।
7. परिभाषा के बाद तथा उदहारण सूचक शब्द के पूर्व–
- व्यक्ति, वस्तु के नाम को संज्ञा कहते है; जैसे :- राम, टेबल।
अल्प विराम [ , ]
1. वाक्य में जब दो या दो से अधिक समान पदो पदांशो अथवा वाक्यों में संयोजक अव्यय ‘और’ की संभावना हो, वहाँ अल्प विराम का प्रयोग होता है-
- पदो में—अर्जुन, भीम, सहदेव और कृष्ण ने भवन में प्रवेश किया।
- वाक्यो में—राम रोज स्कूल जाता है, पढ़ता है और वापस घर चला जाता है।
2. जहाँ शब्दों की पुनरावृत्ति की जाए और भावातिरेक के कारण उन पर अधिक बल दिया जाए-
- वह दूर से, बहुत दूर से आ रहा है।
- सुनो, सुनो, वह गा रही है।
3. समानाधिकरण शब्दों के बीच में-
- विदेहराज की पुत्री वैदेही, राम की पत्नी थी।
4. जब कई शब्द जोड़े से आते है, तब प्रत्येक जोड़े के बाद अल्प विराम लगता है-
- संसार में सुख और दुःख, रोना और हँसना, आना और जाना लगा ही रहता है।
5. ‘हाँ’, ‘अस्तु’ के बाद -
- हाँ, आप जा सकते है।
6. ‘कि’ के अभाव में -
- मैं जानता हूँ , कल तुम यहाँ नही थे।
7. उद्धरण चिन्हों के पहले-
- उसने कहा, “मैं तुम्हे नहीं जानता।”
8. तब, तो, यह, वह आदि के स्थान पर–
- जब मै आया, तब वह जा रहा था।
9. विस्मयादि बोधक वाक्यों में-
- अरे, तुम आ गये।
उपविराम [ : ]
इसे अपूर्ण विराम भी कहा जाता है -
1. जहाँ वाक्य पूरा नहीं होता है, बल्कि किसी विषय के बारे में बताया जाता है–
- विज्ञान : वरदान या अभिशाप ।
- मोहन : मैं घर जा रहा हूँ । (नाटक)
2. किसी सम्बद्ध तथ्य के घटकों के मध्य–
- समय : 3 घंटे ।
- पूर्णांक : 100 ।
प्रश्नवाचक चिन्ह [ ? ]
1. जहाँ प्रश्न पूछे जाये–
- क्या आप कल आयेंगे?
2. जहाँ पर स्थिति निश्चित न हो–
- आप शायद बनारस के रहने वाले है?
3. व्यंगोक्ति के लिए–
- आतंकवाद ही सर्वश्रेष्ठ सेवा है; है न?
- तुम तो यहाँ के नहीं लगते हो?
4. समाचार पत्रों में संदेह व्यक्त करने के लिए–
- हिटलर ने आत्महत्या की ?
नोट :-
1. जब वाक्य में कई प्रश्न हो और सभी एक ही प्रधान उपवाक्य पर आश्रित होते हो, तब उपवाक्य के अंत में अल्प विराम का प्रयोग होता है–
- गोविन्द क्या करता है, कहाँ जाता है, कहाँ रहता है?
2. जब प्रश्न सीधे न पूछा जाये तो अंत में पूर्ण विराम लगेगा–
- उसने मुझसे पूछा की मैं कब आया।
3. यदि प्रश्न आज्ञा के रूप में हो तो पूर्ण विराम लगेगा–
- विराम चिन्ह की परिभाषा बताओ।
4. जब वाक्य में प्रश्न का कोई भाव न हो तो पूर्ण विराम लगेगा –
- क्या मालूम की वे कब आयेंगे।
5. यदि प्रश्नवाचक वाक्य किसी क्रिया का कर्म हो तो प्रश्नसूचक चिन्ह प्रयोग नहीं होता है.
- मैं अच्छी तरह समझता हूँ, तुम कहाँ जा रहे हो।
विस्मयादिबोधक चिह्न [ ! ]
1. जब वाक्य में हर्ष, विषाद, विस्मय, घृणा, आश्चर्य, करुणा, भय आदि भाव हो–
- हे प्रभु! मेरी रक्षा करो
- हाय राम! यह क्या हो गया।
- सुनो! रमेश पास हो गया।
2. संबोधन शब्द के बाद–
- मित्रो!
- राम! जरा इधर आना।
3. प्रसंशा व कृतघ्नता व्यक्त करने में–
- धन्य है मेरे भाग्य!
4. आदेश सूचक भाव को व्यक्त करने में–
- यहाँ से तुरंत दफा हो जाओ!
योजक चिन्ह [ - ]
1. जब दोनों पद प्रधान हो ‘और’ का लोप हो–
- दाल-रोटी, सुख-दुःख, पढ़ना-लिखना।
2. जब दो शब्दों में एक सार्थक तथा दूसरा निरर्थक हो–
- पानी-वानी, खाना-वाना।
3. निश्चित संख्याओं के बीच–
- दो-तीन।
4. शब्दों के द्वित्व रूप में–
- कभी-कभी, धीरे-धीरे।
5. जब दो शब्दों के बीच का, की, के लुप्त हो–
- लेखन-कला, मानव-जीवन।
निर्देशक चिन्ह [ — ]
1. किसी के द्वारा कहे गए शब्दों को लिखने से पहले–
- गाँधी जी ने कहा था — “सत्य-अहिंसा सर्वोत्तम हथियार है”।
2. जहाँ विचारधारा मे व्यतिक्रम पैदा हो-
- कौन–कौन उत्तीर्ण हो जायेंगे — समझ में नहीं आता।
3. लेख के नीचे लेखक या पुस्तक के नाम के पहले-
- रघुकुल रीति सदा चलि आई — तुलसी।
अवतरण चिन्ह [ ‘ ’ ] [ ” ” ]
इकहरा अवतरण [ ‘ ’ ] :-
1. पुस्तक, समाचार पत्र, लेखक का उपनाम, लेख का शीर्षक लिखते समय-
- सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ ।
- ‘भारत’ ।
- ठीक ही कहा है, ‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’।
2. किसी कथन, शब्द, संधि को उद्धृत करने के लिए–
- ‘कविता ह्रदय की मुक्त दशा का शाब्दिक विधान है’।
दुहरा अवतरण [ “ ” ] :-
1. जब किसी पुस्तक से कोई वाक्य या अवतरण ज्यों का त्यों लिखा जाय–
- “जीवन विश्व की संपत्ति है”।
- “अहिंसा परमोधर्म:”।
विवरण चिन्ह [:-]
1. किसी विषय को समझाने के लिए–
- संज्ञा :- ।
- सर्वनाम :- ।
कोष्ठक [ ( ), { }, [ ] ]
1. वाक्य में व्याख्यात्मक शब्दों को कोष्ठक में रखा जाता है–
- भरत (दशरथ के पुत्र) बड़े तपस्वी थे।
हंसपद [ ^ ]
1. जब लिखते समय कोई शब्द छूट जाता है–
बहुत
● सुरेश ^ मेहनत से कार्य करता है ।
लाघव चिन्ह [ o ]
1. शब्दों को संक्षिप्त करने में लाघव चिन्ह का प्रयोग होता है लाघव चिन्ह का प्रयोग सदैव सर्वमान्य शब्दों में होता है–
- डाo, प्रोo, यूo पीo ।
पुनरुक्ति सूचक [ “ “ “ “ “ ]
1. जब ऊपर लिखी गई बात को ज्यों का त्यों लिखा जाता है–
- 10 आदमी को एक काम करने में लगा समय = 30 दिन
- 1 आदमी को उसी “ “ “ “ “ “ “ “ “ “ “ = 300 दिन
तुल्यता सूचक [ = ]
1. जब दो या दो से अधिक तथ्यों में समानता व्यक्त की जाती है–
- हिम+आलय = हिमालय।
- 9x9 = 81
लोपसूचक चिन्ह [ .... ]
1. जहाँ पर किसी वाक्य, कथन का कुछ अंश छोड़ दिया जाता है–
- सम संख्या – 2, 4, 6 ....।
समाप्ति सूचक चिह्न या इतिश्री चिह्न [ –०– ]
1. किसी अध्याय या ग्रन्थ की समाप्ति पर इनका प्रयोग किया जाता है-
- (– :: –), (—x—x—), (* * *), (♦♦♦), (–:०:–), (◊◊◊) आदि।