वसा (Fat)
- वसा ग्लिसराल (Glycerol) और वसीय अम्लों (fatty acids) का एस्टर होती है. इसमे कार्बन, हाइड्रोजन और आक्सीजन विभिन्न मात्राओं में पाया जाता है.
- इसमे आक्सीजन बहुत कम मात्रा में होता है इसलिए यह जल में अघुलनशील होता है, परन्तु क्लोरोफार्म, बेंजीन, पेट्रोलियम आदि कार्बनिक विलायको में घुलनशील होते है.
- पाचन क्रिया के फलस्वरूप वसा ग्लिसराल और वसीय अम्ल में बदल जाता है और उर्जा मुक्त होता है
- 1 ग्राम वसा के आक्सीकरण के फलस्वरूप 9.3 kacl (किलो कैलोरी) उर्जा उत्पन्न होती है.
- वसा समान्यतः 200C ताप पर ठोस अवस्था में रहते है, यदि इस ताप पर द्रव अवस्था में है तो इसे तेल कहते है.
- शरीर को सबसे अधिक उर्जा वसा से मिलती है. इसलिए इसे उर्जा का द्वितीयक स्रोत कहते है.
- सामान्यतः एक व्यक्ति को 20-30% उर्जा वसा से प्राप्त होनी चहिये.
- शरीर में इनका संश्लेषण माइटोकान्ड्रिया में होता है.
- 1 वसीय अम्ल + 1 अल्कोहाल अणु = Wax मोम.
- Wax पत्तियों व पादपो के तने पर पाया जाता है जो पानी के वाष्पीकरण को रोकता है.
वसा के स्रोत :-
मुख्य स्रोत : मक्खन व अंडे.
घी, पनीर, बादाम, मांस, सोयाबीन, तेल, दूध, मछली में तेल के रूप में आदि.
वसा व्हेल की त्वचा के नीचे ब्लबर (blubber //वसा के मोटे स्तर को ब्लबर कहते है ) के रूप में पाया जाता है.
वसीय
खाद्य पदार्थो में कुछ मुख्य वसीय अम्ल
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मक्खन
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ब्युटायरिक अम्ल
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नारियल तेल
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ओक्टोनोइक अम्ल
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जंतु एवं वनस्पति वसा
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ओलिइक अम्ल
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वसा
के प्रकार
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संतृप्त
वसा
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असंतृप्त
वसा
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कार्बन परमाणु एकल
बंध (C-C) से जुड़े रहते है.
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कार्बन परमाणु
द्वि-सहसंयोजक बंध (C=C) से जुड़े रहते है.
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जंतु की वसा, गाय का दूध.
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पादप की वसा,
सूरजमुखी,
सोयाबीन का तेल.
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पामेटिक अम्ल
(साबुन), लोरिक अम्ल
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ओरिक अम्ल, लिनोलिक अम्ल
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ये सामान्य से कम ताप
पर ठोस रूप में रहते है.
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ये द्रव रूप में रहते
है.
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वसीय पदार्थ (तेलीय पदार्थ या चर्बी युक्त पदार्थ) -> वसीय अम्ल (fatty acid)
वो वसीय पदार्थ जो वसीय अम्ल में परिवर्तित नहीं हो पाते हैं यानि जो अशुद्धियाँ रह जाती हैं उसे स्टिरायड कहते हैं. जंतुओं में इसी स्टिरायड को “कोलेस्ट्राल” कहते हैं. यदि यही कोलेस्ट्रोल रक्त में मिल जाये तो इसे लाइपो-प्रोटीन कहते हैं.
लाइपो-प्रोटीन
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LDL (Low Density Lipoprotein)
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HDL (High Density Lipoprotein)
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हानिकारक कोलेस्ट्रोल
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लाभदायक कोलेस्ट्रोल
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यह रक्त वाहिनियों
में जम जाता है
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यह रक्त वाहिनियों
में अतिरिक्त कोलेस्ट्रोल को यकृत में लाता है
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100 mg/dl
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60 mg/dl
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वसा के कार्य :-
- शरीर को उर्जा प्रदान करता है.
- यह त्वचा के नीचे जमकर शरीर के ताप को बाहर नही आने देता है.
- शरीर के विभिन्न अंगो को चोटों से बचाता है.
- रोशनी के लिए प्रयुक्त की जाती है.
रोग:-
- वसा की कमी से त्वचा सुखी हो जाती है.
- वसा की कमी से वसा में घुलनशील विटामिनो की कमी हो जाती है.
- कोलेस्ट्राल की अधिकता से ह्रदय रोग उत्पन्न हो जाता है एवं रक्त चाप बढ़ जाता है.